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भारतीय दंड संहिता का पूरा इतिहास

1833 के चार्टर एक्ट के तहत 1834 में स्थापित भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिशों पर भारतीय दंड संहिता (आई.पी.सी.) 1860 में अस्तित्व में आया। यह 1 जनवरी, 1862 में ब्रिटिश शासन के दौरान प्रभावी किया गया था और पूरे तत्कालीन अंग्रेजों के लिए लागू था। भारत रियासतों को छोड़कर 1940 के दशक तक उनकी अपनी अदालतें और कानूनी प्रणालियाँ थीं।

विभाजन के बाद कोड को बाद में स्वतंत्र भारत और पाकिस्तान द्वारा अपनाया गया था। जम्मू और कश्मीर में लागू रणबीर दंड संहिता भी इसी संहिता पर आधारित है। यह भारत के सभी नागरिकों के लिए लागू है। तब से आई.पी.सी. में कई बार संशोधन किया गया है और अब इसे विभिन्न अन्य आपराधिक प्रावधानों के द्वारा पूरक बनाया गया है। वर्तमान में, आई.पी.सी. 23 अध्यायों में विभाजित है और इसमें कुल 511 खंड हैं।
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